25.08.2019
रिपोर्ट- गौतम मंडल
जामताड़ा
जामताड़ा जिले के भुगर्भ मेँ भी काला हीरा छिपा है।यदि काले हीरे अर्थात कोल ब्लाक खुलवाने पर ध्यान दिया जाए तो जामताड़ा जिले की तकदीर व तस्वीर बदल जाएगी।हजारो लोगो को रोजगार मिलेगा।लेकिन कोलयरी को चालु कराने के लिए कोई पहल नही कर रहा है।कहाँ कहाँ है कोयला-जिले के फतेहपुर प्रखंड अंतर्गत ताराबाद मेँ कोयले का भंडार है।इसके अलावे नाला प्रखंड के पलास्थली कास्ता खड़ीमाटी और जोरकुड़ी मेँ अकुत कोयले का भंडार है।कभी होती थी कोयले की खुदाई-एक जमाने मेँ फतेहपुर और नाला क्षेत्र कोयले के लिए प्रसिद्ध था।क्षेत्र के ताराबाद गाँव मेँ चार कोयला खदाने चालु थी।यहाँ का कोयला ग्रेड वन का था।जिस कोयले का डिमांड हर जगह होता था।ताराबाद सहित आसपास के गाँवो के सैकड़ो लोगो का कमाई यही से होता था।काफी संख्या मेँ क्वार्टर बने जहाँ खदान के अधिकारियो एवं कर्मियो का आशियाना था।उस समय कोयला खदाने प्राइवेट थी।समय ने करवट बदली और 1972 मेँ कोलयरियो का राष्ट्रीयकरण अर्थात सरकारीकरण होने के साथ ही ताराबाद कोलयरी के अलावे नाला क्षेत्र की खदानेँ बंद हो गई।सैकड़ो कर्मीयो को रोजगार से हाथ धोना पड़ा।तब से आज तक खदानेँ बंद की बंद है।क्वार्टरो का भी मिटा नामोनिशान-ताराबाद कोयला खदानो के सामने क्वार्टरो को असामाजिक तत्वो ने सालभर पहले तोड़ दिया और ईटो को लेते गए।क्वार्टरो के पास बड़े बड़े मोटे पेँड़ो को भी लकड़ी माफियाओ ने काटकर बेच दिया।मशीनो को चितरा कोलयरी ले जाया गया था।तत्कालिन सांसद के कोयलामंत्री बनने पर जगी थी।आस-दुमका लोकसभा के तत्कालीन सांसद शिबु सोरेन जब केन्द्रिय कोयलामंत्री बने थे तोलोगो को बंद कोयला खदानेँ के खुलने की आस जगी थी।तत्कालीन कोयलामंत्री से झामुमो के कार्यकर्ताओ और नेताओ ने खदानेँ खुलवानेँ की गुहार लगाई थी।लेकिन मंत्रीजी ने इस ओर ध्यान नही दिया।बंद खदानोँ से होती है चोरी-नाला के बंद कोयला खदानो से अवैध रुप से कोयला निकाला जाता है।अबतक करोड़ो रुपये का कोयला निकल चुका है।इन खदानो का कोयला काफी दुर दुर तक चोरी छुपे खपाया जाता है।नाला विधानसभा के विभिन्न इलाको मेँ बंद खदानो का कोयला साइकिल के माध्यम से भी बेचा जाता है।कुआँ खोदने पर निकलता है।कोयला-ताराबाद से सटे खैरबनी गाँव मेँ मनरेगा के तहत दो कुँआ मेँ खुदाई के दौरान कोयला निकलने लगा।इसकी जानकारी मिलने पर पदाधिकारी द्वारा कुआँ का काम बंद करा दिया गया था।इसी तरह महुलबना गाँव मेँ तालाब खुदाई के दौरान कोयला निकला था।क्या कहते है।ग्रामीण-ताराबाद के शेलेन हेम्ब्रम,मोहन टुडू.मनोज सोरेन,पवन हेम्ब्रम,बाबुजन सोरेन आदि बताते है कि यहाँ चार कोयला खदाने संचालित होती थी।जिसमेँ दो सुरंगनुमा खदान एवं दो पोखरानुमा खदानो से काफी मात्रा से कोयला निकाला जाता था।मगर इन चारो खदानो के बंद हो जाने के बाद खदाने जलमग्न हो चुकी है।इस इलाके मेँ अभी भी काफी मात्रा मेँ कोयला है।अपितु आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने खदानो को चालू करवाने मेँ रुचि नही ली।फलस्वरुप यहाँ के सैकड़ो क्वार्टर खंडहर मेँ तब्दील हो चुका है।लाखो रुपये की मशीने अन्यत्र ले जायी गयी।आज यह वीरान पड़ा है।बहरहाल यदि ताराबाद कोलयरी पुनः चालु हो जाए तो फतेहपुर व नाला के साथ ही नही पूरेजामताड़ा जिले की तकदीर खुल जाएगी।